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September 11, 2015 / kiranpatils

हम नाइनटीस के बन्दे, हम नाइनटीस के बन्दे!

Dedicated to everyone who has seen those 90’s Days:

हम नाइनटीस के बन्दे, हम नाइनटीस के बन्दे!

पूरा दिन हसते खेलते,
ओर एक ही चैनल (दूरदर्शन) से भी खुश रहे लेते,
हम नाइनटीस के बन्दे, हम नाइनटीस के बन्दे!

बडे होते होते रामायण/महाभारत कई बार देख चुके होते,
शायद इसलिए जीवन जीने के हमारे फलसफे क्लियर होते
हम नाइनटीस के बन्दे, हम नाइनटीस के बन्दे!

बन्दे थे हम इतने भोले,
मूर्ति दूध पीती है इस बात बात को भी पचा लेते,
हम नाइनटीस के बन्दे, हम नाइनटीस के बन्दे!

माना हमारे पास मनोरंजन के साधन काम होते,
पर हरेक कार्यक्रम के समय/दिन बिना रिमाइंडर याद रहते,
शायद इसीलिए शाम को हम समय पर घर पर होते,
हम नाइनटीस के बन्दे, हम नाइनटीस के बन्दे!

माना की टीवी मैं चित्र इतने  साफ़ नहीं होते,
पर लोगो के दिल आईने की तरह  साफ़ होते,
हम नाइनटीस के बन्दे, हम नाइनटीस के बन्दे!

घर हमारे छोटे, ओर ना उनमे ऐसी होते,
पर अलग मजा था, जब हम साथ मे छत पर जाकर सोते,
हम नाइनटीस के बन्दे, हम नाइनटीस के बन्दे!

ना मोबाइल, ना वीडियो गेम होते,
पर गलियो मैं बच्चो के खेल (लुप्पा-छुप्पी, कंचे, कबड्डी, इत्यादि) अनोखे होते,
हम नाइनटीस के बन्दे, हम नाइनटीस के बन्दे!

समय बहुत था, पैसे कम थे, पर हमेशा खुश रहते,
पर जनाब अब हाल हैं उलटा, इसिलए उस समय को याद करकर अपना मन बहलाते,
हम नाइनटीस के बन्दे, हम नाइनटीस के बन्दे!

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